PoJK Protests 2025: Shehbaz Sharif Sends 8-Member Committee as Unrest Deepens | India–Pakistan UPSC Analysis
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर: अशांति और बातचीत के बीच सत्ता की परीक्षा
पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (PoJK) एक बार फिर गंभीर अशांति और असंतोष की आग में जल रहा है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ द्वारा आठ सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति का गठन और उसका मुज़फ्फराबाद भेजा जाना इस बात का संकेत है कि हालात सामान्य नहीं हैं और राज्य व्यवस्था के लिए चुनौती अभूतपूर्व स्तर तक पहुँच चुकी है। चार दिन से जारी बंद, चक्का जाम और हिंसक झड़पों में दर्जनों मौतें तथा भारी संख्या में घायल लोग यह दर्शाते हैं कि क्षेत्र में असंतोष केवल क्षणिक नहीं, बल्कि गहराई तक जड़ें जमाए हुए है।
जनाक्रोश और वास्तविक मुद्दे
इन प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रही जम्मू कश्मीर जॉइंट आवामी एक्शन कमिटी (JKJAAC) ने जो मांगें रखी हैं, वे क्षेत्र की राजनीतिक और आर्थिक असमानताओं की परतें खोलती हैं। विधानसभा में 12 शरणार्थी सीटों का उन्मूलन, सत्ता और संसाधनों पर काबिज़ अभिजात वर्ग की विशेष सुविधाओं का अंत, तथा पावर प्रोजेक्ट्स के मुनाफे में स्थानीय लोगों की भागीदारी—ये सभी लंबे समय से दबाए गए असंतोष का हिस्सा हैं। हेल्थ कार्ड और बुनियादी सुविधाओं की माँग बताती है कि PoJK में शासन की प्राथमिकताएँ आम जनता की ज़रूरतों से कितनी दूर हैं।
सरकार की प्रतिक्रिया और सीमाएँ
प्रधानमंत्री शरीफ ने "गहरी चिंता" व्यक्त की और पारदर्शी जांच का वादा किया, लेकिन केवल बयान और समितियों के भरोसे अशांति नहीं थमती। हालात यह संकेत देते हैं कि राज्य तंत्र अपनी पारंपरिक पद्धति—बल प्रयोग, सुरक्षा बंदोबस्त और संचार ब्लैकआउट—के सहारे व्यवस्था बनाए रखने की कोशिश कर रहा है। किंतु इन उपायों ने लोगों का भरोसा बहाल करने के बजाय अलगाव और अविश्वास को और गहरा किया है।
नेतृत्व और आंदोलन की दिशा
JKJAAC नेता शौकत नवाज मीर का बयान कि "संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक प्रमुख माँगें पूरी नहीं होतीं," एक कठोर जनसंदेश है। अंतिम संस्कार सभाओं में दिया गया उनका यह भाषण सिर्फ भावनात्मक नहीं, बल्कि राजनीतिक चेतावनी भी है। इससे स्पष्ट है कि आंदोलन को अब व्यापक जनसमर्थन प्राप्त है और इसे नज़रअंदाज़ करना सरकार के लिए असंभव है। यदि सरकार केवल प्रतीकात्मक बातचीत पर अटकी रही, तो यह असंतोष और अधिक हिंसक रूप ले सकता है।
गहरी समस्या: शासन और असमानता
PoJK में उभरती अशांति केवल कुछ रियायतों या सीटों के पुनर्वितरण तक सीमित नहीं है। यह वहाँ की शासन संरचना, संसाधनों के दोहन और जनता के अधिकारों से जुड़ी मूलभूत असमानताओं का परिणाम है। लंबे समय से स्थानीय लोगों की आवाज़ें दबाई जाती रही हैं, विकास परियोजनाओं के लाभ बाहर के लोगों को मिले, और जनता को केवल आश्वासन व प्रतीकात्मक सुविधाएँ दी गईं। यह असमानता अब संगठित प्रतिरोध का रूप ले चुकी है।
संभावित रास्ता
आठ सदस्यीय समिति की बातचीत एक अवसर है, किंतु इसका परिणाम इस पर निर्भर करेगा कि सरकार वास्तविक सुधार और न्याय के लिए कितनी इच्छाशक्ति दिखाती है। यदि समिति केवल समय निकालने और आंदोलन को कमजोर करने की रणनीति तक सीमित रही, तो यह कदम विफल हो जाएगा। सरकार को पारदर्शिता, जवाबदेही और ठोस नीति सुधारों के साथ आगे आना होगा। साथ ही, उन सुरक्षा बलों के खिलाफ कार्रवाई अनिवार्य है जिन पर निहत्थे प्रदर्शनकारियों की हत्या का आरोप है।
निष्कर्ष
PoJK में जारी यह जनआंदोलन पाकिस्तान की शासन-व्यवस्था के लिए एक चेतावनी है। केवल सैन्य बल और प्रशासनिक तंत्र के सहारे क्षेत्र को नियंत्रित करना संभव नहीं होगा। यह आंदोलन उस गहरी खाई की ओर इशारा करता है जो सत्ता और जनता के बीच बन चुकी है। यदि सरकार जनता के अधिकारों और उनकी आकांक्षाओं को गंभीरता से नहीं लेती, तो PoJK में असंतोष की यह लहर आने वाले समय में और बड़े संकट का रूप ले सकती है।
👉 यह सम्पादकीय स्पष्ट करता है कि PoJK की अशांति सिर्फ स्थानीय विरोध तक सीमित नहीं है, बल्कि पाकिस्तान की राजनीतिक और प्रशासनिक प्राथमिकताओं पर एक गहरा प्रश्नचिह्न है।
PoJK (पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर) में हालिया विरोध और पाकिस्तान सरकार की प्रतिक्रिया — को UPSC GS पेपर-2 (Governance, International Relations) और GS पेपर-3 (Internal Security) के दृष्टिकोण से विश्लेषित करता हूँ।
UPSC GS पेपर-2 दृष्टिकोण (Governance, Polity, IR)
1. शासन और जवाबदेही (Governance & Accountability)
- PoJK की स्थिति यह दर्शाती है कि स्थानीय शासन संरचना कितनी कमजोर है।
- जनता को बुनियादी सुविधाओं — बिजली, स्वास्थ्य सेवाओं और राजनीतिक प्रतिनिधित्व — से वंचित रखा गया।
- “Elite Privileges” का मुद्दा वहाँ की प्रशासनिक असमानता और जवाबदेही की कमी को उजागर करता है।
👉 UPSC प्रश्न संभावित:
"PoJK में हालिया विरोध प्रदर्शन पाकिस्तान की प्रशासनिक असमानताओं और कमजोर शासन प्रणाली को उजागर करते हैं। चर्चा कीजिए कि यह स्थिति पाकिस्तान की लोकतांत्रिक संरचना पर क्या प्रभाव डाल सकती है।"
2. लोकतंत्र और अधिकार (Democracy & Rights)
- आंदोलन की प्रमुख माँगें जनाधिकार आधारित हैं — न्याय, प्रतिनिधित्व, और संसाधनों में समान भागीदारी।
- यह स्पष्ट करता है कि पाकिस्तान का लोकतंत्र अपने “संवैधानिक दायरे” में सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार सुनिश्चित करने में असफल रहा है।
- संचार ब्लैकआउट और बल-प्रयोग मानवाधिकार उल्लंघन की ओर इशारा करता है।
👉 निबंध आयाम:
“लोकतंत्र केवल चुनाव तक सीमित नहीं है, बल्कि जनता की आकांक्षाओं को शासन प्रणाली में स्थान देने पर निर्भर करता है।”
3. भारत–पाक संबंध और कूटनीति (India–Pakistan Relations)
- PoJK की स्थिति अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत के लिए एक अवसर है।
- भारत हमेशा कहता आया है कि PoJK में लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन हो रहा है — यह आंदोलन उस दावे को पुष्ट करता है।
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की “कश्मीर नैरेटिव” कमजोर हो सकता है।
- भारत, UNO और अन्य मंचों पर इसे मानवाधिकार के मुद्दे के रूप में उठाकर कूटनीतिक लाभ ले सकता है।
👉 UPSC प्रश्न संभावित:
"PoJK में हालिया अशांति भारत के लिए कूटनीतिक अवसर प्रस्तुत करती है। भारत इस स्थिति को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अपने हित में कैसे उपयोग कर सकता है?"
UPSC GS पेपर-3 दृष्टिकोण (Internal Security & Regional Stability)
1. आंतरिक सुरक्षा और अस्थिरता
- पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा PoJK में बिगड़ रही है।
- लगातार बंद, हड़ताल और हिंसा से यह क्षेत्र असुरक्षित और अस्थिर हो गया है।
- पाकिस्तान पहले से ही आर्थिक संकट, आतंकवाद और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा है, अब PoJK का संकट उसे और कमजोर करेगा।
2. सीमा पार प्रभाव (Cross-border Implications)
- PoJK की स्थिति भारत के लिए दो तरह से महत्त्वपूर्ण है:
- पाकिस्तान की कमज़ोर स्थिति सीमा पर आतंकवादी गतिविधियों को कम या अधिक करने दोनों का कारण बन सकती है।
- यदि असंतोष बढ़ता है, तो पाकिस्तान भारत पर ध्यान भटकाने हेतु सीमा पर तनाव बढ़ा सकता है।
- इसलिए भारत को सतर्क रहना होगा।
👉 UPSC प्रश्न संभावित:
"PoJK की अस्थिरता भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए किस प्रकार चुनौतियाँ और अवसर दोनों प्रस्तुत करती है?"
3. अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव
- पाकिस्तान में अशांति और PoJK में बढ़ता आक्रोश चीन–पाक आर्थिक गलियारे (CPEC) की सुरक्षा पर भी असर डाल सकता है।
- यह चीन की चिंताओं को बढ़ाएगा और क्षेत्रीय सुरक्षा समीकरण (India–Pakistan–China) को प्रभावित करेगा।
निष्कर्ष (UPSC Lens)
- PoJK का आंदोलन केवल एक स्थानीय विरोध नहीं है, बल्कि यह पाकिस्तान के शासन, लोकतंत्र और अंतर्राष्ट्रीय कूटनीतिक छवि के लिए गहरा झटका है।
- भारत के लिए यह अवसर है कि वह PoJK की वास्तविकता और वहाँ के मानवाधिकार उल्लंघनों को वैश्विक विमर्श में लाए।
- साथ ही, सीमा पार आतंकवाद और सुरक्षा पर निगाह रखना अनिवार्य है, क्योंकि पाकिस्तान अक्सर अपनी आंतरिक समस्याओं को छिपाने के लिए बाहरी मोर्चा खोलता है।
👉 यह विश्लेषण UPSC GS पेपर-2 (Governance, IR) और GS पेपर-3 (Internal Security) दोनों में सीधे उपयोगी है।
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